पौराणिक आरक्षण संसार की समस्त धन संपत्ति का मालिक ब्राम्हण के सिवा कोई दुसरा नहीं है!!【मनु.1/100】 ब्राह्मण शूद्र की संपत्ति को जबरन छीन सकता है क्योंकि शूद्र का अपना कुछ भी नहीं है!!【मनु.8/417】 शूद्र को संपत्ति इकट्ठा नहीं करना चाहिए इससे ब्राह्मण को दुख होता है!!【मनु.10/129】 जो शूद्र अपने प्राण, धन और स्त्री ब्राह्मण को अर्पित कर दे, उस शूद्र का भोजन ग्रहण करने योग्य है!! 【विष्णु पुराण 5/11】 मनुष्यों में ब्राह्मण तेजी में सूर्य और संपूर्ण शरीर में मष्तिष्क के समान सब धर्मों में श्रेष्ठ है!!【मनु.8/82】 मूर्ख ब्राह्मण का भी श्रेष्ठता में उच्च स्थान है!!【मनु.9/317】 पूजिय विप्र सकल गुण हीना, शूद्र न गुनगन ज्ञान प्रवीना! शूद्र करहि जप तप व्रत नाना बैठी बारासन कहहि पुराना सब नर कल्पित करहि अचारा जाई न वरनी अनीति अपारा 【रामचरित मानस अरण्य कांड】 जो वरणाधम तेलि कुम्हारा, स्वपच किरात कोल कलवारा तथा अभीर यमन किरात खस, स्वपचादि अति अघरुप जे!! अर्थात : तेली, कुम्हार, भंगी, आदिवासी, कलवार, अहीर, मुसलमान और खटिक नींच और पापी कौमें होती है!!【रामचरित मानस उत्तर कांड】 ब्राह्मण दुश्चरित्...