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Showing posts from May, 2021

चक्रवर्ती सम्राट अशोक का परिचय

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  चक्रवर्ती सम्राट अशोक अखण्ड भारत के सबसे शक्तिशाली महान राजा हुए थे ।सम्राट अशोक  का जन्म 304 ईसा  पूर्व में हुआ था और  सम्राट अशोक का पूरा नाम देवानांप्रिय अशोक मौर्य था। इनके पिता का नाम सम्राट बिन्दुसार था। और इनकी मां का नाम धर्मा था।  इतिहास में सम्राट अशोक के अलावा इनके केवल तीन भाई सुसीम, विट अशोक और तिष्य का ही जिक्र मिलता है |मौर्य वंश के सभी राजाओं में से अशोक ने  सबसे लंबे समय तक शासन किया था।  इनका का राजकाल 269 से 232 ईसा पूर्व तक रहा था | 72 वर्ष की आयु में सम्राट अशोक की मृत्यु  हो  गई  थी|                                        चक्रवर्ती सम्राट अशोक इनका मौर्य साम्राज्य उत्तर में हिन्दुकुश की श्रेणियों से लेकर दक्षिण में गोदावरी नदी तथा दक्षिण में मैसूर तक तथा पूर्व में बांग्लादेश से पश्चिम में अफ़गानिस्तान, ईरान तक पहुँच गया था।आज का सम्पूर्ण भारत, पाकिस्तान, अफ़गानिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान, म्यान्मार उस समय इन सारे देशो पर  सम्राट अशोक का ही राज था| यह साम्राज्य आज तक का सबसे बड़ा भारतीय साम्राज्य रहा है।  सम्राट अशोक विश्व के सबसे महान एवं शक्तिशाली सम्राट हु

होली का रहस्य ( (होलिका कौन थी और क्यों जलाई जाती है

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 होली का रहस्य ( (होलिका कौन थी और क्यों जलाई जाती है। लखनऊ के पास हरदोई जिले में दो भाई रहते थे| जिनका नाम राजा हिरण्याक्ष और राजा हिरण्यकश्यप था | वो दोनों भाई मिलकर वहाँ राज करते थे | वहाँ के कुछ आर्यों ने मिल कर राज्य की भूमि पर कब्जा कर लिया था | फिर राजा हिरण्याक्ष ने आर्यों द्वारा कब्जा की हुई सम्पूर्ण भूमि को जीतकर अपने कब्जे में कर लिया|  यही से आर्यों और हिरण्याक्ष के बीच दुश्मनी शुरू हो गई | और आर्यों ने हिरण्याक्ष के खिलाफ षड़यंत्र रचना शुरू किया | फिर हिरण्याक्ष को विष्णु नामक आर्य राजा ने धोखे से मार दिया | जिसकी वजह से हिरण्याक्ष  के छोटे भाई राजा हिरण्यकश्यप ने अपने भाई के हत्यारे विष्णु की पूजा पर प्रतिबंध लगा दिया था। लेकिन हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रहलाद को विष्णु ने नारद नामक आर्य से जासूसी कराकर उसे गुमराह किया और अपने झांसे में लेकर घर में फूट डलवा दी। प्रह्लाद गद्दार निकला और विष्णु से मिल गया तथा शराबियों की मंडली में पड़कर पूरी तरह आवारा हो गया। सुधार के तमाम प्रयास विफल हो जाने पर राजा ने उसे घर से निकाल दिया। अब प्रहलाद आर्यों की आवारा मंडली के साथ रहने लगा, वह

चन्द्रगुप्त मौर्य का परिचय

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पूरा नाम                      चन्द्रगुप्त मौर्य जन्म                           340 BC जन्म स्थान                  पाटलीपुत्र , बिहार माता - पिता                 नंद, मुरा   पत्नी                            दुर्धरा बेटे                             बिंदुसार पोते                            अशोका , सुसीम , नंदा,....... मौर्य साम्राज्य के संस्थापक चन्द्रगुप्त भारत के बहुत अच्छे शासक माने जाते है, जिन्होंने बहुत सालों तक शासन किया | चन्द्रगुप्त मौर्य एक ऐसे शासक थे, जो पुरे भारत को एकिकृत करने में सफल रहे थे , उन्होंने अपने अकेले के दम पर पुरे भारत पर शासन किया| पहले पुरे देश में छोटे छोटे शासक हुआ करते थे, जो  शासन चलाते थे, देश में एकजुटता नहीं थी | चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपना शासन कश्मीर से लेकर दक्षिण के डेक्कन तक, पूर्व के असम से पश्चिम के अफगानिस्तान तक फैलाया था|  भारत देश के अलावा चन्द्रगुप्त मौर्य आस पास के देशों में भी शासन किया करते थे| चन्द्रगुप्त मौर्य के बचपन के बारे में कोई ज्यादा नहीं जानता है, कहा जाता है वे मगध के वंशज थे| चन्द्रगुप्त मौर्य  बचपन से ही बहुत बुद्धिमान थे,  उनम

चंद्रगुप्त मौर्य कैसे बने सम्राट ?

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                    तीन सौ बीस ईसा पूर्व की बात है। मगध राज्य में नंद वंश के राजा धनानंद राज्य करते थे। मगध राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र थी, जिसे आज पटना के नाम से जाना जाता है ।  मगध साम्राज्य की सीमा उत्तर में गंगा से दक्षिण में विन्ध्य पर्वत तक, पूर्व में चम्पा से पश्‍चिम में सोन नदी तक फैला था |      इस साम्राज्य का राजा जोकि धनानंद था | वह धन का लोभी था | धनानंद अपने खजाने को भरने के लिए प्रजा पर तरह तरह के कर लगा पर बलपूर्वक वसूलता था | इसके कारण सारी जनता धनानंद के खिलाफ हो गई | पर इसका थोड़ा सा भी भय धनानंद को नहीं था | उस समय के सभी राजा विद्वानों  का बहुत आदर करते थे, पर धनानंद अपने अहंकार के कारण वो विद्वानों का भी निरादर कर दिया करता था अपने इसी व्यवहार के कारण उसने अपने दरबार में ही उस युग के महान् विद्वान और नीतिज्ञ चाणक्य का अपमान कर दिया | फिर उसी समय चाणक्य ने यह संकल्प लिया की नंद वंश का विनाश करके इस राज्य गद्दी पर एक सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति को बैठालूँगा |         एक दिन जब चाणक्य अपने आश्रम की ओर जा रहे थे |तभी उनकी दृष्टि एक लड़के पर पड़ी , जोकि वह लड़का अपने दोस्तों के साथ