होली का रहस्य ( (होलिका कौन थी और क्यों जलाई जाती है

 होली का रहस्य ( (होलिका कौन थी और क्यों जलाई जाती है।

लखनऊ के पास हरदोई जिले में दो भाई रहते थे| जिनका नाम राजा हिरण्याक्ष और राजा हिरण्यकश्यप था | वो दोनों भाई मिलकर वहाँ राज करते थे | वहाँ के कुछ आर्यों ने मिल कर राज्य की भूमि पर कब्जा कर लिया था | फिर राजा हिरण्याक्ष ने आर्यों द्वारा कब्जा की हुई सम्पूर्ण भूमि को जीतकर अपने कब्जे में कर लिया| 

यही से आर्यों और हिरण्याक्ष के बीच दुश्मनी शुरू हो गई | और आर्यों ने हिरण्याक्ष के खिलाफ षड़यंत्र रचना शुरू किया | फिर हिरण्याक्ष को विष्णु नामक आर्य राजा ने धोखे से मार दिया | जिसकी वजह से हिरण्याक्ष  के छोटे भाई राजा हिरण्यकश्यप ने अपने भाई के हत्यारे विष्णु की पूजा पर प्रतिबंध लगा दिया था।


लेकिन हिरण्यकश्यप के पुत्र प्रहलाद को विष्णु ने नारद नामक आर्य से जासूसी कराकर उसे गुमराह किया और अपने झांसे में लेकर घर में फूट डलवा दी। प्रह्लाद गद्दार निकला और विष्णु से मिल गया तथा शराबियों की मंडली में पड़कर पूरी तरह आवारा हो गया। सुधार के तमाम प्रयास विफल हो जाने पर राजा ने उसे घर से निकाल दिया। अब प्रहलाद आर्यों की आवारा मंडली के साथ रहने लगा, वह अव्वल नंबर का शराबी और आवारा बन गया।  

हिरण्यकश्यप  की बहन, जिसका नाम होलिका था | वह अपने भतीजे प्रह्लाद से बहुत स्नेह करती थी |  होलिका अक्सर राजा हिरण्यकश्यप से छुपकर प्रह्लाद को खाना खिलाने जाती थी।

 फागुन माह की पूर्णिमा थी, होलिका का विवाह तय हो चुका था, फागुन पूर्णिमा के दूसरे दिन ही होलिका की बारात आने वाली थी। होलिका ने सोचा कि आखिरी बार प्रह्लाद से मिल लूं, क्योंकि अगले दिन मुझे अपने ससुराल जाना हैं। होलिका प्रहलाद को भोजन देने पहुंची तो प्रह्लाद नशे में इतना धुत था कि वह खुद को ही संभाल नहीं पा रहा था। फिर क्या था, प्रह्लाद की मित्र मंडली (आर्यों) ने होलिका को पकड़ लिया और होलिका के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। इतना ही नहीं भेद खुलने के डर से उन लोगों ने होलिका की  हत्या भी कर दी और होलिका की लाश को भी जला दिया।

जब दूसरे दिन होलिका के भाई राजा हिरण्यकश्यप को यह बात पता चली तो उन्होंने होलिका के बलात्कारी हत्यारों को पकड़ लिया और उनके माथे पर तलवार की नोक से कायर लिखवा कर, उनके मुख पर कालिख पोतकर, जूते-चप्पल की माला पहनाकर पूरे राज्य में जुलूस निकलवाया। जुलुस जिधर से भी गया हर किसी ने उन बलात्कारी,हत्यारे पर कीचड़, गोबर, कालिख फेंक कर उसका तिरस्कार किया ।


परन्तु इन झूंठे फरेबी मक्कार पाखंडी आर्यो ने होलिका की इस सहादत की सच्चाई को छुपाकर 'होलिका दहन' के रूप में एक त्योंहार बना दिया है, और हम लोग अपनी अज्ञानतावश के कारण इसके झांसे में आकर अपनी ही बहन 'होलिका' को हर साल जलाकर दूसरे दिन नशे में धुत होकर एक दूसरे को कीचड़, गोबर, रंग लगाकर खुशियां मनाते हैं | 


आप इसको पढ़िये, समझिये और कोई निष्कर्ष निकालिये|  इस त्यौहार को मनाना सही है या गलत | 

प्लीज कमेंट में जरूर बताये |





                                                                                                                                                    
 

Popular posts from this blog

चितौड़गढ़ किले का निर्माण मौर्य राजा चित्रांगद मौर्य ने 7 वीं सदी में कराया था।

चक्रवर्ती सम्राट अशोक का परिचय