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Showing posts from April, 2023

चितौड़गढ़ किले का निर्माण मौर्य राजा चित्रांगद मौर्य ने 7 वीं सदी में कराया था।

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चितौड़गढ़ का जो किला भारतीय इतिहास में राणा के वंशजों की शान का प्रतीक है, उसका निर्माण एक मौर्य राजा चित्रांगद मौर्य ने 7 वीं सदी में कराया था।  8 वीं सदी के मध्य में सिसौदिया वंश के संस्थापक बप्पा रावल ने राजस्थान में मौर्य वंश के अंतिम शासक मान मौर्य से यह किला अपने कब्जे में कर लिया था।  मान कवि के राजविलास में चित्रांगद मौर्य द्वारा चितौड़ दुर्ग की स्थापना तथा उसके द्वारा 18 प्रांतों पर शासन करने का शानदार वर्णन है। चित्रांगद मौर्य की सेना में 3 लाख अश्व, 3 हजार हाथी, 1 हजार रथ और असंख्य पदाति थे।  चित्रांगद मौर्य तथा उसके वंशजों का गौरवशाली वृत्तांत इतिहास - ग्रंथों से गायब हैं। बावजूद इसके चित्रांगद मौर्य एक शक्तिशाली और प्रभावशाली राजा था, जिसने एक अजेय दुर्ग की स्थापना की जो अपने ढंग का अनुपम किला है। ( संदर्भ :- राजपुताने का इतिहास, पहली जिल्द पृ. 95 , 305 ( पाद - टिप्पणी -1 ) तथा राजविलास , छंद 16 , 21 , पृ. 18  )

बाबू जगदेव प्रसाद जी

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बाबू जगदेव प्रसाद जी 1947 को भारत आजाद हुआ ।1952 से चुनाव शुरू हुआ। 1966 तक सिर्फ तमिलनाडू को छोडकर बाकी पूरे देश मे सामन्तवादी, विषमतावादी सरकारे हुआ करती थी। एक वर्ग विशेष के लोगो का शासन हुआ करता था। आजादी के बाद यदि किसी राजनेता ने इस मिथक को तोडने का काम किया। तो वह कोई और नहीं, भारत लेनिन बाबू जगदेव प्रसाद जी थे। बाबू जगदेव प्रसाद विधानसभा पहुंचकर महज कुछ साथियों के साथ विधानसभा की कार्यवाही को ही प्रभावित नही किया बल्कि पूरे शासन सत्ता की भागदौड़ ही बहुसंख्यक समाज के हाथो मे दे दी थी। बाब ू जगदेव के नेतृत्व मे जो प्रक्रिया बिहार से शुरू हुई। धीरे-धीरे 26 प्रदेशों में बहुसंख्यक समाज की सरकारें बनी। दुनिया के इतिहास मे कोई भी पर्व, उत्सव किसी महापुरुष के जन्मदिन, शहादत दिवस, विजय, या पराजय की स्मृति मे मनाया जाता है। भारत में जिस महापुरुष के नेतृत्व में बहुसंख्यक समाज की सरकारे बननी शुरू हुई।जिन्होने आपके लिए अपने सीने पर गोली खाई। आपकी पीढियों के लिए शहीद हो गये। और विडम्बना देखिए जिन्होने आपकी पीढियो के अपनी जान दे दी। आज आपलोग उन्हे जानते तक नहीं। यदि जानते भी हैं तो उनके विचारो

रामायण के रामसेतू पुल की कुछ गपोड़ कहानियाँ

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#_रामायण_के_रामसेतू पुल_कि_कुछ_गपोड़_कहानियाँ क्या रामायण में श्रीलंका जाने के लिए सच में पुल का निर्माण किया गया था। अगर किया गया था तो किसका किसका बाप दादा-प्रदादा उस पुल को देखा है जबकि पुल को बनाने में पूरे पांच दिन का समय लगा था। पहले दिन में 14 योजन, दूसरे दिन 20 योजन, तीसरे दिन 21 योजन, चौथे दिन 22 योजन और पांचवे दिन 23 योजन पुल बनाया था। इस प्रकार कुल 100 योजन लंबाई का पुल समुद्र पर बनाया गया यह पुल 10 योजन चौड़ा था। एक योजन लगभग 08-14km होता है अगर मैं 10km योजन ही लेता हूं तो 10x10 = 130km चौड़ा और 100 × 10 = 1000km लम्बा होता हैं। क्या आज तक कोई भी व्यक्ति 130km चौड़ा और 1000km लम्बा पुल देखा है? नोट-1972 तक इसका नाम सीलोन (अंग्रेजी:Ceylon) था, जिसे  1972 में बदलकर लंका तथा 1978 में इसके आगे सम्मानसूचक शब्द "श्री" जोड़कर श्रीलंका कर दिया गया ।